Sunday 1 May 2011

वन्दना





वन्दना श्री चरणआर में ,
करहूँ   दंडवत   प्रणाम |
करूनासागर , दयानिधि,
बैकुंठ   तुम्हरा   धाम ||
हम  जीवों  की  खातिर ,
धरा  तम  संत अवतार |
परोपकार  कल्याण हित,
करने  भव   से   पार ||
शरण तुम्हारी आ गया ,
दाता    गरीबनिवाज  |
दास  स्वीकार  कर  लो,
पावन कर दो  मिजाज़ ||
गुरमुख ऐसा बना देवो,
ए    मेरे    परमेश | 
रहूँ सदा चरणआरविन्द,
चाहूं    यही   हमेश ||
आनंद मंगल हो जाऊं ,
करहो ऐसी बक्शीश  |
लीन तुझमें हो जाऊं ,
हे   मेरे   जगदीश ||

*****

1 comment:

  1. यह ब्लॉग गुर्मुखों का है और गुर्मुखों के लिए ही है | इस ब्लॉग में निम्नलिखित पेज हैं :-
    Home :- यहाँ पर ब्लॉग के निर्माण का उद्देश्य बताया गया है |
    About the Blog:- जो भी पोस्टिंग्स गुर्मुख्जन ईमेल करते हैं उसे यहाँ लिखा जाता है |
    संत वचन :- जहाँ संतों के वचन दिए जाते हैं | यहाँ पर कुछ दिन बाद वचन आगे लिखे जाते हैं |
    Bhajans :- यहाँ पर गुर्मुख्जन जो भजन लिख कर भेजते हैं वो लिखे जाते हैं |

    ReplyDelete

Note: only a member of this blog may post a comment.