Wednesday 31 August 2011

तूँ है तो सब कुछ है दाता






तूँ है तो जग में सब कुछ है |
बिन तेरे जहाँ में नहीं कुछ है ||
तूँ साथ है तो सुख ही सुख है |
बिन तेरे जीना ही दुःख है ||


तेरे चरणों में मौज बहारें हैं |
चरणों से दूर तो गुहारें हैं ||
शरण तेरी में मिली पनाहें हैं |
बिन तेरे सूनी मेरी राहें हैं ||


मिलन में तेरे हर्ष - उलास है |
जुदाई तेरी करती उदास है ||
दिल में मेरे तेरी ही आस है |
अंतर की बुझती न प्यास है ||


दासी हर दम तुझको पुकारे |
आ जाओ अब प्रीतम प्यारे ||
विनय ये सुन लो नाथ हमारे |
हम तो हैं इक तेरे सहारे ||


तुझसे ओ दिलबर हर बात कही है |
विरह की पीड़ा, अब न जाए सही है ||
तेरी ही लग्न इस दिल में लगी है |
किरपा हो तेरी, यह आस जगी है ||


सदा के लिए प्रभु कब आओगे ?
अमर प्रेम दाता कब लाओगे ?
रंग अपने में मुझे रंगआओगे |
आकर कभी न फिर जाओगे ||



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