वन्दना श्री चरणआर में ,
करहूँ दंडवत प्रणाम |
करूनासागर , दयानिधि,
बैकुंठ तुम्हरा धाम ||
हम जीवों की खातिर ,
धरा तम संत अवतार |
परोपकार कल्याण हित,
करने भव से पार ||
शरण तुम्हारी आ गया ,
दाता गरीबनिवाज |
दास स्वीकार कर लो,
पावन कर दो मिजाज़ ||
गुरमुख ऐसा बना देवो,
ए मेरे परमेश |
रहूँ सदा चरणआरविन्द,
चाहूं यही हमेश ||
आनंद मंगल हो जाऊं ,
करहो ऐसी बक्शीश |
लीन तुझमें हो जाऊं ,
हे मेरे जगदीश ||
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