Monday, 5 September 2011

राहुल धनकर के दोहे

 


|| श्री सतगुरु जी आपकी ओट है ||





पूरण सतगुरु मिले हमें, मिटे सब कस्ट भ्रमजाल |

संतो का संग मिलाहम तो हो गए मालोमाल ||




गुरमुख गुरमुख सभी कहे गुरमुख बिरला कोए |

आप रमत संसार में गुरु के आस पास न होए ||



गुरमुख सो ही जानिए जो गुरु जैसे होए |

सुख दुःख व्यापे नहीं रहे निराले होए ||



नहीं चाहिए धन दौलत, हमें तो तेरा नाम काफी है

नहीं चाहिए कोई जाम, हमें तो तेरा दीदार काफी है



जो जन गुरमुख भये, ताको तो डर नाही |

जीव रहे जगत में, मन सतगुरु के माहि ||



जो जन निगुरा भये, रहे संसार के माहि |

आवागमन न छूटी सके, रहे काल के माहि ||



 

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