कर तूं क्या सकता है ?
तेरी क्या औकाद है ?
सतगुरु की कृपा न हो तो,
तेरी क्या मजाल है ?
क्या समझता है तूं खुद को ?
तुझ से कौन महान है ?
मालिक की दया न हो तो
तेरी क्या पहचान है ?
क्या सोचता है तुं बाँवरे ?
तुझ से रोशन ये जहान है ?
ईश्वर की मौज से ही तो
तेरी जान में जान है |
उसकी करूणा के बिना
तुं कुछ कर सकता नहीं |
पाया है जो भी अब तक
तुं उसकी वजह नहीं |
क्या होती तेरी गति ?
थामता जो वो हाथ नहीं |
कहाँ होती तेरी गली ?
बक्श्ता जो वो गुनाह नहीं |
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