Sunday 16 October 2011

तूँ ही तूँ




तूँ दया का सागर है |
तूँ ही इक बक्शंहार है |
तूँ रहमत का भण्डार है |
तूँ बक्शीश का अम्बार है |


तेरी कृपा हम पर अपार है |
तेरी महिमा अपरम्पार है |
तेरी अदा पर दास बलिहार है | 
तेरी करूणा करे भव पार है |


तेरा रूप भी एक मिसाल है |
तेरा तेज अलोकिक विशाल है |
तेरा नूर बरसता बेमिसाल  है |
तेरा जलवा करता सबको निहाल है |

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