श्री सतगुरु जी देवाय नमः
"साहिब तेरी साहिबी, कर गयी कमाल |
कोई नहीं अजनबी, सब तेरे है लाल ||
ये संसार गहन है, गहन है माया जाल |
कोई यहाँ बचा नहीं, सबके पीछे काल ||
अंदर तू बाहर तू , तू ही करता संभाल |
तुझसा कोई नहीं, चलता हर पल नाल ||
"ज्ञान अगर बुधि में रहा तो बोझ बनता है और
अगर व्यवहार में आया तो आचरण बनता है |"
"ज्ञान को कभी कहा नहीं जा सकता है
लेकिन आपका आचरण आपके ज्ञान की सीमा को दर्शाता है
इसीलिए ज्ञान और आचरण एक दुसरे के पूरक है | "
"संसार की तरफ बढ़ना उलझना है |
मालिक की तरफ बढ़ना निकलना है |
लेकिन जानते हुए भी हम फस जाते है |
हाय ये क्या हुआ समझ न पाते है |
बार बार संतो ने यही फ़रमाया है |
के भाई सब जाने फसे यही तो माया है |"
"गर था सतगुरु सरन तो बचा रहा,
दूरी हुयी तो कही का न रहा,
पर जो लाडले है सतगुरु के,
वो फिकर नहीं जीकर किया करते है,
क्योकि करते वो नहीं गुरुदेव किया करते है |
वो रहे कही भी गम नहीं ,
क्योकि वो गुरु की नज़र में रहा करते है |"
"साच कहे तो जाने नहीं |
झूट कहे तो माने सही |
ये कुछ नाहि कलयुग का हाल है |
चहु और पसरा माया जाल है |
यहाँ पर जो आये, बचे बिरला कोई |
बचेगा सोही जापे, कृपा सतगुरु की होई |"
"श्री सतगुरु जी आपकी किरपा"